स्पर्श 10 हिंदी

मीरा

पद

हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।

इसपदमेंमीरानेभगवानविष्णुकीभक्तवात्सल्यताकाचित्रणकियाहै।हरि विष्णु का एक प्रचलित नाम है।मीरानेकईउदाहरणदेकरयहबतायाहैकिकैसेभगवानविष्णुभक्तोंकीपीड़ाहरतेहैं।जबद्रौपदीकीलाजसंकटमेंपड़गईथीतोहरिनेकृष्णकेअवतारमेंअनंतसाड़ीप्रदानकरकेद्रौपदीकीलाजबचाईथी।



भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर।
बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुञ्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर॥

प्रह्लाद भी विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक थे।जबप्रह्लादकाजीवनसंकटमेंपड़गयाथातबविष्णुनेनरसिंहकाअवतारलेकरप्रह्लादकीरक्षाकीथी।जबऐरावतकोमगरमच्छनेपकड़लियाथातोविष्णुनेमगरमच्छकोमारकरऐरावतकीजानबचाईथी।मीराबाईकाकहनाहैकिजोभीसच्चेमनसेहरिकीआराधनाकरेगाहरिहमेशाउसकाकष्टदूरकरेंगे।मीरा कहती हैं कि वो भी कृष्ण की दासी हैं।चूँकिकृष्णहरिकेहीरूपहैंइसलिएवोमीराकाभीदुखदूरकरेंगे।



स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाला म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिंदरावन री कुंज गली में, गोविंद लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।

इनपंक्तियोंमेंमीरानेभक्तिकीचरमसीमाकावर्णनकियाहै।वहकृष्णकीभक्तिमेंउनकेयहाँनौकरतकबननेकोतैयारहैं।नौकरोंकीसामाजिकस्थितिसेहमसभीपूरीतरहसेपरिचितहैं।उनकी बड़ी दयनीय दशा होती है।हर कोई उन्हें तिरस्कार से देखता है।फिरभीमीराभगवानकेयहाँनौकरयादासीबननाचाहतीहैं।इसमेमीराकोक्याक्यालाभहोनेवालेहैं,इसकामीरानेबड़ाहीसुंदरचित्रणकियाहै।जबमीराबागलगाएँगीतोउसीबहानेरोजउन्हेंश्यामकेदर्शनहोंगे।फिरवेभक्तिभावसेअभिभूतहोकरवृन्दावनकीसंकरीगलियोंमेंगोविंदकीलीलागातीफिरेंगी।चाकरी से मीरा को तीन मुख्य फायदे होंगे। उन्हें दर्शन और सुमिरन खर्चे के लिए मिलेंगे और भाव और भक्ति की जागीर मिलेगी।

मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजंती माला।
बिंदरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।

कृष्णकेउसरूपकावर्णनमीरानेकियाहैजोजगजाहिरहै।कृष्णकेपीलेवस्त्र,मोरकामुकुटऔरगलेमेंवैजयंतीमालाबहुतसुंदरलगतीहै।कृष्णजबवृंदावनमेंइसरूपमेंगायचरातेहैंतोउनकारूपमोहनेवालाहोताहै।हिंदूसंस्कृतिमेंपीलारंगसूर्यकेतेजऔरउत्तमस्वास्थ्यकीनिशानीमानीजातीहै।पीला रंग बसंत के आगमन का भी सूचक है।इसलिएहमारेयहाँपूजामेंगेंदेकेफूलकामुख्यस्थानरहताहै।कृष्णकागायचरानाभीहमारीपुरानीअर्थव्यवस्थाकाप्रतीकहै।पुराने जमाने में पशुधन का बहुत महत्व होता था।कृष्णकीगायचरानेकीप्रक्रियाउसीपशुधनकीरक्षाऔरउसकीवृद्धिकासूचकहै।



ऊँचा, ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुम्बी साई।
आधी रात प्रभु दरसण, दीज्यो जमनाजी रा तीरां।
मीरां रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ।

अगलीपंक्तियोंमेंमीराकहतीहैंकिऊँचेमहलोंमेंवोबगीचेबनवाएँगी।उन्हींबगीचोंमेंवेपूरेसाजश्रृंगारकरकेकृष्णकेदर्शनकरेंगी।अबमीराकाहृदयइतनाअधीरहोगयाहैकिवेचाहतीहैंकिभगवानउन्हेंआधीरातमेंहीदर्शनदेदें।



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