स्पर्श 10 हिंदी

पर्वत प्रदेश में पावस

सुमित्रानंदनपंत

NCERTअभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न1:पावसऋतुमेंप्रकृतिमेंकौन——कौनसेपरिवर्तनआतेहैं吗?कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:पावसयानिसर्दीकामौसमहैजिसमेप्रकृतिकारूपहरपलबदलतारहताहै।कभीधूपखिलजातीहैतोकभीकालेघनेबादलसूरजकोढ़ँकलेतेहैं।



प्रश्न 2: ' मेखलाकार ' शब्द का क्या अर्थ है?कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?

उत्तर:मेखला एक आभूषण है जिसे कमर में पहना जाता है।यह ऊपर नीचे उठती हुई तरंगों जैसी रेखा बनाती है।पर्वत श्रृंखला भी ऐसी ही दिखाई देती है।इसलिए कवि ने‘मेखलाकार’शब्द का प्रयोग किया है।

प्रश्न 3: ' सहस्र दृग-सुमन ' से क्या तात्पर्य है?कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?

उत्तर:पहाड़परउगआएपेड़ोंपरअसंख्यरंगबिरंगेफूलदिखाईदेतेहैं।ऐसा लगता है कि पहाड़ की असंख्य आँखें हैं।इसलिए कवि ने यहाँ पर इस पद का प्रयोग किया है।

प्रश्न4:कविनेतालाबकीसमानताकिसकेसाथदिखाईहैऔरक्यों吗?

उत्तर:तालाबयाकिसीभीअन्यजलराशिमेंआसपासकीचीजोंकाप्रतिबिंबदिखाईदेताहै।इसलिएकविनेतालाबकीतुलनाकिसीविशालदर्पणसेकीहै।

प्रश्न5:पर्वतकेहृदयसेउठकरऊँचे——ऊँचेवृक्षआकाशकीओरक्योंदेखरहेहैंऔरवेकिसबातकोप्रतिबिंबितकरतेहैं吗?

उत्तर:पर्वतकेहृदयसेपेड़उठकरखड़ेहुएहैंऔरशांतआकाशकोअपलकऔरअचलहोकरकिसीगहरीचिंतामेंमग्नहोकरबड़ीमहात्वाकांक्षासेदेखरहेहैं।ये हमें ऊँचा, और ऊँचा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं।



प्रश्न6:शालकेवृक्षभयभीतहोकरधरतीमेंक्योंधँसगए吗?

उत्तर:घनेकोहरेमेंशालकेवृक्षदिखाईदेनाबंदहोगएहैं।ऐसालगताहैकिवेउसघनेकोहरेसेडरकरधरतीमेंसमागएहैं।

प्रश्न 7: झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं?बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?

उत्तर:झरने पहाड़ के गौरव का गान कर रहे हैं।कवि ने झरनों की तुलना झरते हुए मोतियों से की है।फिरकविनेझरनोंकीबेकाबूगतिकीतुलनाकिसीऐसेव्यक्तिसेकीहैजोनशेकेप्रभावमेंलड़खड़ाकरचलरहाहो।



निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:

प्रश्न 1: है टूट पड़ा भू पर अंबर।

उत्तर:जबतेजबारिशहोतीहैतोलगताहैकिधरतीपरआसमानहीटूटकरगिरनेलगाहो।

प्रश्न 2: यों जलद-यान में विचर-विचर
था इंद्र खेलता इंद्रजाल।

उत्तर:इनपंक्तियोंमेंकविनेतेजबारिशकाचित्रणकियाहै।बादलों की तुलना उसने किसी विमान से की है।ऐसालगताहैकिउनविमानोंमेंबैठकरइंद्रभगवानकोईजादूकररहेहों।

प्रश्न 3: गिरिवर के उर से उठ उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।

उत्तर:पहाड़केऊपरऔरआसपासपेड़भीहोतेहैंजोउसदृष्टिपटलकीसुंदरताकोबढ़ातेहैं।पर्वतकेहृदयसेपेड़उठकरखड़ेहुएहैंऔरशांतआकाशकोअपलकऔरअचलहोकरकिसीगहरीचिंतामेंमग्नहोकरबड़ीमहात्वाकांक्षासेदेखरहेहैं।ये हमें ऊँचा, और ऊँचा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं।



Baidu
map