9 हिंदी स्पर्श

गीतअगीत

रामधारी सिंह दिनकर

इसकवितामेंकविरामधारीसिंहदिनकरबतायाहैकिहमारेचारोंओरगीतकेसाथसाथअगीतभीव्याप्तरहताहै।यहाँपरगीतकामतलबहैशब्दोंकेमाध्यमसेअपनीभावनाओंकोप्रकटकरना।वहींदूसरीओर,अगीतकामतलबहैबिनाकुछकहेहीसबकुछकहदेना।

कविकाकहनाहैकिइससेएकदुविधाकीस्थितिबनजातीहै।यहतयकरपानामुश्किलहोताहैकिगीतऔरअगीतमेंसेकौनसुंदरहै।



गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता
देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।”
गा गाकर बह रही निर्झरी,
पाटल मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?

कविताकेपहलेभागमेंकविनेनदीऔरगुलाबकेद्वारागीतऔरअगीतकोसमझानेकीकोशिशकीहै।नदीतेजीसेबहतीजातीहैजबकिगुलाबएकस्थानपरस्थिररहताहै।नदीजबआगेबढ़तीहैतोउसकीकलकलसेएकसंगीतनिकलताहै।ऐसा लगता है जैसे नदी विरह के गीत गा रही है।नदीउनकिनारोंसेकुछकहतीहैजिनसेबिछड़करवहआगेबढ़तीरहतीहै।

वहींकिनारेपरएकगुलाबसोचरहाहैकिभगवाननेउसेबोलनेकीशक्तिक्योंनहींदी।यदिवहबोलपातातोवहभीपूरीदुनियाकोअपनागीतसुनाता।

एकतरफनदीगातेहुएचलतीजारहीहै,वहींदूसरीतरफगुलाबचुपचापखड़ाहै।ऐसेमेंकविसवालकरताहैकिकौनसुंदरहै,नदीकागीतयाफिरगुलाबकाअगीत।

बैठा शुक उस घनी डाल पर
जो खोंते को छाया देती।
पंख फुला नीचे खोंते में
शुकी बैठ अंडे है सेती।
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर।
किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
रह जाते सनेह में सनकर।
गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
फूला मग्न शुकी का पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?

कविताकेदूसरेभागमेंकविनेशुकऔरशुकीकेबारेमेंकहाहै।तोते को शुक कहते हैं।तोताएकघनीडालपरबैठाहैऔरउसीडालकीछायामेंउसकाघोंसलाहै।उस घोंसले में शुकी अपने अंडों को से रही है।जबपत्तियोंसेछनकरसूर्यकीकिरणेंतोतेकेपरोंपरपड़तीहैंतोतोतागानेलगताहै।लेकिनशुकीगानहींपातीहैऔरमनहीमनमेंअपनेप्यारकाइजहारकरतीहै।

एकतरफतोतेकागीतपूरेजंगलमेंगूँजरहाहै,वहींदूसरीओरशुकीमनहीमनफूलेनहींसमारहीहै।

दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
बड़े साँझ आल्हा गाता है,
पहला स्वर उसकी राधा को
घर से यहीं खींच लाता है।

चोरी-चोरी छिपकर सुनती है,
हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना”,यों मन में गुनती है।
वह गाता, पर किसी वेग से
फूल रहा इसका अंतर है।
गीत, अगीत कौन सुंदर है?

कविताकेतीसरेभागमेंकविनेदोप्रेमियोंकेबारेमेंबतायाहै।जबप्रेमीशाममेंआल्हागानेलगताहैतोउसगीतकोसुनकरउसकीप्रेमिकाखिंचीचलीआतीहै।आल्हा एक लोकगीत का नाम है।प्रेमिकाछुपछुपकरउसगीतकोसुनतीहैऔरसोचतीहैकिभगवाननेउसकानामउसगीतमेंशामिलक्योंनहींकियाहै।

एकतरफप्रेमीगलाखोलकरगारहाहै,वहींदूसरीओरप्रेमिकामनहीमनफूलेनहींसमारहीहै।प्रेमिका के मुँह से एक स्वर नहीं निकल रहा है।उसकीखामोशीभीउतनीहीसुंदरलगरहीहैजितनीकिउसकेप्रेमीकागीत।



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