10इतिहास

औद्योगिक विकास का अनूठापन

यूरोपकीमैनेजिंगएजेंसीकुछखासतरहकेउत्पादोंमेंहीरुचिदिखातीथी;जैसे चाय और कॉफी के बागानों, खनन, नील और जूट।इनका उत्पादन मुख्य रूप से निर्यात के लिए होता था।

भारतकेव्यवसायीमैनचेस्टरकेसामानोंसेप्रतिस्पर्धाकरनेसेबचतेथे।वेसूतकेमोटेकपड़ेबनातेथेताकिहथकरघावालोंकोबेचसकेंयाचीनभेजसकें।



बीसवींसदीकेपहलेदशकतककईबदलावोंनेभारतमेंऔद्योगीकरणपरप्रभावडालाथा।स्वदेशीआंदोलनसेप्रभावितहोकरऔद्योगिकसमूहभीसंगठितहोरहेथेऔरसरकारसेअपनेसामूहिकहितोंकेलिएपहलकरनेलगेथे।व्यवसायियोंनेआयातशुल्कबढ़ानेतथाअन्यरियायतोंकेलिएसरकारपरदबावबनानाशुरुकिया।इसबीचभारतसेचीनकोजानेवालेभारतीयधागेकानिर्यातघटरहाथाक्योंकिचीनऔरजापानकीमिलोंकेउत्पादसेचीनकाबाजारभरचुकाथा।अबभारतीयउत्पादकोंनेसूतीधागेकोछोड़करसूतीकपड़ेबनानेपरअधिकजोरदिया।इसकेपरिणामस्वरूप1900और1912केबीचभारतमेंसूतीकपड़ेकाउत्पादनदोगुनाहोगया।



प्रथमविश्वयुद्धकेदौरानब्रिटेनकीमिलोंमेंसेनाकीजरूरतकेहिसाबसेकामहोरहाथा।इससेभारतमेंब्रिटेनसेआनेवालाआयातघटगयाथाऔरभारतकीमिलोंकेलिएघरेलूबाजारतैयारहोचुकाथा।भारतकीमिलोंमेंब्रिटिशसेनाकेलिएभीसामानबननेलगे।इससे उद्योग धंधे में वृद्धि हुई।युद्धसमाप्तहोनेकेबादमैनचेस्टरकोभारतकेबाजारमेंपुरानीपकड़नहींमिलपाई।अबसंयुक्तराज्यअमेरिका,जर्मनीऔरजापानकेउद्योगब्रिटेनसेकहींआगेनिकलचुकेथे।



लघु उद्योगों का वर्चस्व

अर्थव्यवस्थामेंअभीभीलघुउद्योगोंकाबोलबालाथा।लगभग 67% उद्योग बंगाल और बम्बई तक सीमित थे।देश के बाकी भाग में लघु उद्योग की बहुतायत थी।श्रमिकोंकाएकबहुतछोटाहिस्साहीसंगठितकम्पनियोंमेंकामकरताथा।कुलश्रमिकोंका5%ही1911मेंसंगठिकक्षेत्रकमेंकामकरताथाऔरयह1931मेंबढ़कर10%होपाया।

बीसवींसदीमेंहाथसेहोनेवालेउत्पादमेंवृद्धिहुई।हथकरघा उद्योग में नई टेक्नॉलोजी को अपनाया गया।1941 तक भारत के 35% से अधिक हथकरघों मेंफ्लाईशटललग चुका था।त्रावणकोर,मद्रास,मैसूर,कोचिनऔरबंगालजैसेमुख्यक्षेत्रोंमेंतो70से80%हथकरघोंमेंफ्लाईशटललगेहुएथे।इसकेअलावाकईअन्यनयेसुधारहोनेसेहथकरघाकेक्षेत्रमेंउत्पादनक्षमताबढ़गईथी।

बाजार में होड़

ग्राहकोंकोरिझानेकेलिएउत्पादकनये——नयेतरीकेअपनातेरहतेहैं,औरविज्ञापनएकवैसाहीतरीकाहै।उससमय“मेड इन मैनचेस्टर”के लेबल का मतलब होता था गुणवत्ता की गारंटी।इसलिएमैनचेस्टरकेउत्पादकइसलेबलकाबखूबीइस्तेमालकरतेथे।उत्पादकेलेबलपरभारतीयदेवीदेवताओंकीतस्वीरहोतीथीताकिस्थानीयलोगोंकोआसानीसेलुभायाजासके।उन्नीसवींसदीकेउत्तरार्धतककैलेंडरबाँटनेकाप्रचलनशुरुहोगया।किसीअखबारयापत्रिकाकोकोईआदमीकमसमयकेलिएदेखताहैलेकिनकैलेंडरकोलोगकमसेसालभरदेखतेहैं।इसतरहसेकैलेंडरपूरेसालभरतककिसीब्रांडकीयाददिलातारहताथा।भारतकेउत्पादकअक्सरविज्ञापनोंमेंराष्ट्रवादीसंदेशोंकाइस्तेमालकरतेथे।




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