10इतिहास

असहयोगआंदोलन

महात्मागांधीनेअपनीप्रसिद्धपुस्तकस्वराज(1909)मेंलिखाथाकिभारतमेंअंग्रेजीराजइसलिएस्थापितहोपायाक्योंकिभारतकेलोगोंनेउनकेसाथसहयोगकिया।यदिभारतकेलोगोंकासहयोगनहींमिलतातोअंग्रेजकभीभीयहाँशासननहींकरपाते।महात्मागांधीकाकामाननाथाकिअगरभारतकेलोगसहयोगकरनाबंदकरदें,तोअंग्रेजीराजएकसालकेअंदरचरमराजायेगाऔरस्वराजआजायेगा।गांधीजीकोपूराविश्वासथाकिऐसाहोनेपरअंग्रेजोंकेपासभारतकोछोड़करजानेकेसिवाऔरकोईरास्तानहींबचेगा।



असहयोग आंदोलन के कुछ प्रस्ताव:

आंदोलन के विभिन्न स्वरूप

असहयोग——खिलाफतआंदोलनकीशुरुआतजनवरी1921मेंहुईथी।इसआंदोलनमेंसमाजकेविभिन्नवर्गोंकेलोगशामिलथेऔरहरवर्गकीअपनी——अपनीमहत्वाकांक्षाएँथीं।सबनेस्वराजकेआह्वानकासम्मानकियाथा,लेकिनअलग——अलगलोगोंकेलिएइसकेअलग——अलगमायनेथे।

शहरों में आंदोलन:



आंदोलन में सुस्ती आने के कारण:

अवध

अवध में किसान आंदोलन की अगुवाईबाबारामचंद्रनेकी।बाबारामचंद्रएकसन्यासीथेजिन्होंनेपहलेफिजीमेंगिरमिटियामजदूरकेतौरपरकामकियाथा।तालुकदारऔरजमींदारअधिकमालगुजारीकीमांगीकररहेथे।किसानों से बेगारी करवाई जा रही थी।इन सबके विरोध में किसान उठ खडे हुए थे।किसानोंचाहतेथेकिमालगुजारीकमहो,बेगारसमाप्तहोऔरकठोरजमींदारोंकासामाजिकबहिष्कारहो।

जवाहरलालनेहरू1920年नेजूनसेअवधकेगाँवोंकादौराकरनाशुरुकरदिया,ताकिवहकिसानोंकीसमस्यासमझसकें।अक्तूबरमेंनेहरू,बाबारामचंद्रऔरकुछअन्यलोगोंकीअगुआईमेंअवधकिसानसभाकागठनहुआ।इसतरहअपनेआपकोकिसानोंकेआंदोलनसेजोड़कर,कांग्रेसअवधकेआंदोलनकोएकव्यापकअसहयोगआंदोलनकेसाथजोड़नेमेंसफलहोपाईथी।कईजगहोंपरलोगोंनेमहात्मागाँधीकानामलेकरलगानदेनाबंदकरदियाथा।



आदिवासीकिसान

महात्मागाँधीकेस्वराजकाआदिवासीकिसानोंनेअपनेहीढ़ंगसेमतलबनिकालाथा।जंगल से संबंधित नये कानून बने थे।येकानूनआदिवासीकिसानोंकोजंगलमेंपशुचराने,तथावहाँसेफलऔरलकड़ियाँलेनेसेरोकरहेथे।इसप्रकारजंगलकेनयेकानूनकिसानोंकीआजीविकाकेलियेखतराबनचुकेथे।आदिवासीकिसानोंकोसड़कनिर्माणमेंबेगारकरनेकेलियेबाध्यकियाजाताथा।आदिवासीक्षेत्रोंमेंकईविद्रोहीहिंसकभीहोगये।कईबारअंग्रेजीअफसरोंकेखिलाफगुरिल्लायुद्धभीहुए।

अल्लूरी सीताराम राजू:1920年केदशकमेंआंध्रप्रदेशकीगूडेमपहाड़ियोंमेंआदिवासियोंनेउग्रआंदोलनकिया।उनका नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू कर रहे थे।राजूकादावाथाकिउनकेपासचमत्कारीशक्तियाँहैं।लोगों को लगता था कि राजू भगवान के अवतार थे।राजूमहात्मागांधीसेबहुतप्रभावितथेऔरलोगोंकोखादीपहननेऔरशराबनपीनेकेलिएप्रेतितकिया।लेकिनउन्हेंलगताथाआजादीकेलिएबलप्रयोगजरूरीथा।राजू को 1924 में फाँसी दे दी गई।

बागानों में स्वराज

चायबागानोंमेंकामकरनेवालेमजदूरोंकीस्थितिखराबथी।इंडियन एमिग्रेशन ऐक्ट1859年केअनुसार,बागानमजदूरोंकोबिनाअनुमतिकेबागानछोड़करजानामनाथा।असहयोगआंदोलनसेप्रभावितहोकरकईमजदूरोंनेअधिकारियोंकीबातमाननेसेइंकारकरदिया।वे बागानों को छोड़कर अपने घरों की तरफ चल पड़े।लेकिनरेलवेऔरस्टीमरकीहड़तालकेकारणवेबीचमेंहीफंसगए,जिससेउन्हेंकईमुसीबतेंझेलनीपड़ीं।पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और बुरी तरह पीटा।

कईविश्लेषकोंकामाननाहैकिकांग्रेसउसआंदोलनकेसहीमतलबकोसहीतरीकेसेसमझानहींपाईथी।लोगोंनेअपने——अपनेतरीकेसेअसहयोगआंदोलनकामतलबनिकालाथा।लोगोंकोलगताथाकिस्वराजकामतलबथाउनकीहरसमस्याकाअंत।लेकिनसमाजकेविभिन्नवर्गोंकेलोगोंनेगाँधीजीकानामजपनाशुरुकरदियाऔरस्वतंत्रभारतकेनारेलगानेशुरुकरदिए।ऐसाकहसकतेहैंकिआमलोगकिसीनकिसीरूपमेंउसविस्तृतआंदोलनसेजुड़नेकीकोशिशकररहेथेजोउनकीसमझसेपरेथे।




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